This Poetry is dedicated To #krishna In this poem, I have tried to show the glimpse of Krishna's Power. Although Krishna is almighty, he is a great teacher also. रात-दिवस मैं जाग-जाग कर, समूची धरती पर भाग-भाग कर। संघर्षों में रत् रहता हूँ, हा-हा मैं तुमसे कहता हूँ, हा-हा मैं तुमसे ही कहता हूँ । आदि-अन्त से पृथक हुआ मैं, वेदों में भी अकथ हुआ मैं । मुझको न कोई जान पाया , रचता मैं ही ये विज्ञान माया। हर क्षण मैं बनता - मिटता हूँ, हा-हा मैं तुमसे कहता हूँ, हा-हा मैं तुमसे ही कहता हूँ । न किसी से द्वेष भाव है हानि-लाभ सब अप्रभाव है ये गुण अवगुण मुझे छू न पाएं मेरा ही यश दस दिशायें गाएं सब कुछ करता फिर भी अकर्ता हूँ हा- हा मैं तुमसे कहता हूँ हा- हा मैं तुमसे ही कहता हूँ समक्ष मेरे न कोई जीत सकता अगर मैं कह दूँ तो हार न सकता धर्म-अधर्म सब मेरी इच्छा जिसे मैं चाहूँ वही है सच्चा सकल जगत को मैं रचता हूँ हा-हा मैं तुमसे कहता हूँ हा-हा मैं तुमसे ही कहता हूँ ।